भाद्रपद मास के शुक्लपक्ष की चतुर्थी के चन्द्रमा के दर्शन हो जाने से कलंक लगता है|
भादंव मास की शुक्लचतुर्थी के चन्द्रदर्शन से लगे कलंक का सत्यता से सम्बन्ध हो ही -ऐसा कोई नियम नहीं ।किन्तु इसका दर्शन त्याज्य है |
पूज्यपाद गोस्वामी जी लिखते हैं - तजउ चउथि के चंद नाई—मानस .सुन्दरकाण्ड,३८/६,
भादव मास की उस तिथि को गणेशजी लड्डू खाकर कहीं जा रहे थे कि कीचड़ में फिसलकर गिर पड़े !चन्द्रमा ने देखा और हंस दिया !
तो फिर तुम दृष्टि दे दी है कि अभिशाप लम्बोदर करेगा उसे कलंक लगेगा ! स्कन्दमहापुराण में भगवान श्रीकृष्ण ने स्वयं कहा है कि भादव के शुक्लपक्ष के चन्द्र का दर्शन मैंने गोखुर के जल में किया जिसका परिणाम मुझे मणि की चोरी का कलंक लगा –
मया भाद्रपदे शुक्लचतुर्थ्याम् चन्द्रदर्शनम् ! गोष्पदाम्बुनि वै राजन् कृतं दिवमपश्यता !!
यदि उसके पहले द्वितीया का चंद्र्मा आपने देख लिया है तो चतुर्थी का चन्द्र आपका बाल भी नहीं बांका कर सकता!
भागवत की स्यमन्तक मणि की कथा सुन लीजिए !
या इस मन्त्र का २१ बार जप करलें – सिंहः प्रसेनमवधीत् सिंहो जाम्बवता हतः! सुकुमारक मा रोदीस्तव ह्येष स्यमन्तकः !!
यदि आप इन उपायों में कोई भी नहीं कर सकते हैं तो एक सरल उपाय बता रहा हूँ उसे सब लोग कर सकते हैं ना समय न पैसे न किसी कीमती वस्तु की जरुरत –
उठाइये एक पत्थर या ढेला और उसे अपने पड़ोसी या किसी को भी फेंककर मारिये ! मारने में इतनी सावधानी आवश्यक है कि लाठी डंडे कि नौबत ना आ जाय केवल गाली खाने को मिल जाय ! गाली खाने के लिए आप कोई दूसरे उपाय को भी अपना सकते हैं !
कारण
भादंव मास की शुक्लचतुर्थी के चन्द्रदर्शन से लगे कलंक का सत्यता से सम्बन्ध हो ही -ऐसा कोई नियम नहीं ।किन्तु इसका दर्शन त्याज्य है |
पूज्यपाद गोस्वामी जी लिखते हैं - तजउ चउथि के चंद नाई—मानस .सुन्दरकाण्ड,३८/६,
भादव मास की उस तिथि को गणेशजी लड्डू खाकर कहीं जा रहे थे कि कीचड़ में फिसलकर गिर पड़े !चन्द्रमा ने देखा और हंस दिया !
तो फिर तुम दृष्टि दे दी है कि अभिशाप लम्बोदर करेगा उसे कलंक लगेगा ! स्कन्दमहापुराण में भगवान श्रीकृष्ण ने स्वयं कहा है कि भादव के शुक्लपक्ष के चन्द्र का दर्शन मैंने गोखुर के जल में किया जिसका परिणाम मुझे मणि की चोरी का कलंक लगा –
मया भाद्रपदे शुक्लचतुर्थ्याम् चन्द्रदर्शनम् ! गोष्पदाम्बुनि वै राजन् कृतं दिवमपश्यता !!
उपाय
यदि उसके पहले द्वितीया का चंद्र्मा आपने देख लिया है तो चतुर्थी का चन्द्र आपका बाल भी नहीं बांका कर सकता!
भागवत की स्यमन्तक मणि की कथा सुन लीजिए !
या इस मन्त्र का २१ बार जप करलें – सिंहः प्रसेनमवधीत् सिंहो जाम्बवता हतः! सुकुमारक मा रोदीस्तव ह्येष स्यमन्तकः !!
यदि आप इन उपायों में कोई भी नहीं कर सकते हैं तो एक सरल उपाय बता रहा हूँ उसे सब लोग कर सकते हैं ना समय न पैसे न किसी कीमती वस्तु की जरुरत –
उठाइये एक पत्थर या ढेला और उसे अपने पड़ोसी या किसी को भी फेंककर मारिये ! मारने में इतनी सावधानी आवश्यक है कि लाठी डंडे कि नौबत ना आ जाय केवल गाली खाने को मिल जाय ! गाली खाने के लिए आप कोई दूसरे उपाय को भी अपना सकते हैं !

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