असल में चंद्र कोई ग्रह नहीं बल्कि धरती का उपग्रह माना गया है। पृथ्वी के मुकाबले यह एक चौथाई अंश के बराबर है। पृथ्वी से इसकी दूरी 406860 किलोमीटर मानी गई है। चंद्र पृथ्वी की परिक्रमा 27 दिन में पूर्ण कर लेता है। इतने ही समय में यह अपनी धुरी पर एक चक्कर लगा लेता है। चंद्रमा सूर्य से प्रकाश लेकर धरती को प्रकाशित करता है।
देव और दानवों द्वारा किए गए सागर मंथन से जो 14 रत्न निकले थे उनमें से एक चंद्रमा भी थे जिन्हें भगवान शंकर ने अपने सिर पर धारण कर लिया था।
श्रीमद् भागवत के अनुसार चंद्रदेव महर्षि अत्रि और अनुसूया के पुत्र हैं। इनको सर्वमय कहा गया है। ये सोलह कलाओं से युक्त हैं। इन्हें अन्नमय, मनोमय, अमृतमय पुरुषस्वरूप भगवान कहा जाता है।
प्रजापितामह ब्रह्मा ने चंद्र देवता को बीज, औषधि, जल तथा ब्राह्मणों का राजा बनाया। चंद्रमा का विवाह राजा दक्ष की सत्ताईस कन्याओं से हुआ। ये कन्याएँ सत्ताईस नक्षत्रों के रूप में भी जानी जाती हैं, जैसे अश्विनी, भरणी, कृत्तिका, रोहिणी आदि। चंद्रदेव की पत्नी रोहिणी से उनको एक पुत्र मिला जिनका नाम बुध है।
समुद्र के ज्वार-भाटा का कारण चंद्रमा ही है, जो लव-इमोशन्स का भी निर्धारक ग्रह है। चंद्र-चकोर, चांदनी का प्रेम और विरह में योग जैसे विषय चंद्रमा को प्रेम का ग्रह बनाते हैं। प्रथम दृष्टि का प्रेम (लव एट फर्स्ट साइट) और कुछ नहीं केवल ग्रहों का परिणाम है। ग्रहों की विशिष्ट युतियां या कहें कॉम्बिनेशन से ही यह स्थिति लाइफ में आती है।
परमानेंट फ्रेंडशिप, दो व्यक्तियों के प्लेनेट और राशियों के मालिकों के बीच के एस्ट्रो कैल्क्यूलेशन पर आधारित है। मदनोत्सव की मान्यता पीछे भी शुक्र ग्रह की मजबूती प्रमुख कारण है।
देव और दानवों द्वारा किए गए सागर मंथन से जो 14 रत्न निकले थे उनमें से एक चंद्रमा भी थे जिन्हें भगवान शंकर ने अपने सिर पर धारण कर लिया था।
श्रीमद् भागवत के अनुसार चंद्रदेव महर्षि अत्रि और अनुसूया के पुत्र हैं। इनको सर्वमय कहा गया है। ये सोलह कलाओं से युक्त हैं। इन्हें अन्नमय, मनोमय, अमृतमय पुरुषस्वरूप भगवान कहा जाता है।
प्रजापितामह ब्रह्मा ने चंद्र देवता को बीज, औषधि, जल तथा ब्राह्मणों का राजा बनाया। चंद्रमा का विवाह राजा दक्ष की सत्ताईस कन्याओं से हुआ। ये कन्याएँ सत्ताईस नक्षत्रों के रूप में भी जानी जाती हैं, जैसे अश्विनी, भरणी, कृत्तिका, रोहिणी आदि। चंद्रदेव की पत्नी रोहिणी से उनको एक पुत्र मिला जिनका नाम बुध है।
चंद्रमा का अशुभ होना
मानसिक रोगों का कारण भी चंद्र को माना गया है। दूध देने वाला जानवर मर जाए। यदि घोड़ा पाल रखा हो तो उसकी मृत्यु भी तय है, किंतु आमतौर पर अब लोगों के यहां ये जानवर नहीं होते। माता का बीमार होना या घर के जल के स्रोतों का सूख जाना भी चंद्र के अशुभ होने की निशानी है। महसूस करने की क्षमता क्षीण हो जाती है। राहु, केतु या शनि के साथ होने से तथा उनकी दृष्टि चंद्र पर पड़ने से चंद्र अशुभ हो जाता है।चंद्रमा का उपाय
प्रतिदिन माता के पैर छूना। शिव की भक्ति। सोमवार का व्रत। पानी या दूध को साफ पात्र में सिरहाने रखकर सोएं और सुबह कीकर के वृक्ष की जड़ में डाल दें। चावल, सफेद वस्त्र, शंख, वंशपात्र, सफेद चंदन, श्वेत पुष्प, चीनी, बैल, दही और मोती दान करना चाहिए।चंद्रमा का शुभ होना
शुभ चंद्र व्यक्ति को धनवान और दयालु बनाता है। सुख और शांति देता है। भूमि और भवन के मालिक चंद्रमा से चतुर्थ में शुभ ग्रह होने पर घर संबंधी शुभ फल मिलते हैं।प्यार में भी चंद्रमा का सम्बन्ध
नजदीकियां बढ़ना, टूटना, बिगड़ना, बिछड़ना यह सब ह्यूमन लव रिलेशनशिप के जरूरी परिणाम हैं। जिनका सीधा कारक चंद्र है। चंद्रमा स्वयं प्रेम का स्वरूप और प्रतिरूप है। प्रेम की शीतल छाया चंद्रमा के मजबूत होने से ही मिलती है।समुद्र के ज्वार-भाटा का कारण चंद्रमा ही है, जो लव-इमोशन्स का भी निर्धारक ग्रह है। चंद्र-चकोर, चांदनी का प्रेम और विरह में योग जैसे विषय चंद्रमा को प्रेम का ग्रह बनाते हैं। प्रथम दृष्टि का प्रेम (लव एट फर्स्ट साइट) और कुछ नहीं केवल ग्रहों का परिणाम है। ग्रहों की विशिष्ट युतियां या कहें कॉम्बिनेशन से ही यह स्थिति लाइफ में आती है।
परमानेंट फ्रेंडशिप, दो व्यक्तियों के प्लेनेट और राशियों के मालिकों के बीच के एस्ट्रो कैल्क्यूलेशन पर आधारित है। मदनोत्सव की मान्यता पीछे भी शुक्र ग्रह की मजबूती प्रमुख कारण है।

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