सिर दर्द,बुखार,नेत्र विकार,मधुमेह,मोतीझारा,पित्त रोग,हैजा,हिचकी.
यदि औषिधि सेवन से भी रोग ना जावे तो समझ लेना कि सूर्य की दशा या अंतर्दशा लगी हुई है;
निम्न मंत्र जाप कर लाभ उठा सकतें हैं-
विनियोग :- ऊँ आकृष्णेनि मन्त्रस्य हिरण्यस्तूपांगिरस ऋषि स्त्रिष्टुप्छन्द: सूर्यो देवता सूर्यप्रीत्यर्थे जपे विनियोग:|
देहान्गन्यास :- आकृष्णेन शिरसि,रजसा ललाटे,वर्तमानो मुखे,निवेशयन ह्रदये,अमृतं नाभौ,मर्त्यं च कट्याम,हिरण्येन सविता ऊर्व्वौ,रथेना जान्वो:,देवो याति जंघयो:,भुवनानि पश्यन पादयो:|
करन्यास :- आकृष्णेन रजसा अंगुष्ठाभ्याम नम:,वर्तमानो निवेशयन तर्जनीभ्याम नम:,अमृतं मर्त्यं च मध्यामाभ्याम नम:,हिरण्ययेन अनामिकाभ्याम नम:,सविता रथेना कनिष्ठिकाभ्याम नम:,देवो याति भुवनानि पश्यन करतलपृष्ठाभ्याम नम:|
ह्रदयादिन्यास :- आकृष्णेन रजसा ह्रदयाय नम:,वर्तमानो निवेशयन शिरसे स्वाहा,अमृतं मर्त्यं च शिखायै वषट,हिरण्येन कवचाय हुम,सविता रथेना नेत्रत्र्याय वौषट,देवो याति भुवनानि पश्यन अस्त्राय फ़ट (दोनो हाथों को सिर के ऊपर घुमाकर दायें हाथ की पहली दोनों उंगलियों से बायें हाथ पर ताली बजायें|
ध्यान :-
पदमासन: पद मकरो द्विबाहु: पद मद्युति: सप्ततुरंगवाहन: ।
दिवाकरो लोकगुरु: किरीटी मयि प्रसादं विदधातु देव: ॥
सूर्य गायत्री :-
ऊँ आदित्याय विदमहे दिवाकराय धीमहि तन्न: सूर्य: प्रचोदयात|
सूर्य बीज मंत्र :-
ऊँ ह्रां ह्रीं ह्रौं स: ऊँ भूभुर्व: स्व: ऊँ आकृष्णेन रजसा वर्तमानो निवेशयन्नमृतम्मर्तंच । हिण्ययेन सविता रथेना देवो याति भुवनानि पश्यन ऊँ स्व: भुव: भू: ऊँ स: ह्रौं ह्रीं ह्रां ऊँ सूर्याय नम: ॥
सूर्य जप मंत्र :-
ऊँ ह्राँ ह्रीँ ह्रौँ स: सूर्याय नम: । नित्य जाप ७००० प्रतिदिन ।
सूर्य ग्रह के दुष्प्रभाव निवारक रत्न; उपरत्न और जडी बूटियां-
सूर्य के रत्नों मे माणिक और उपरत्नो में लालडी, तामडा,और महसूरी.पांच रत्ती का रत्न या उपरत्न रविवार को कृत्तिका
नक्षत्र में अनामिका उंगली में सोने में धारण करनी चाहिये|
इससे इसका दुष्प्रभाव कम होना हो जाता है.और रत्न पहिनते ही पच्चास प्रतिशत तक लाभ होता देखा गया है|
रत्न की विधि विधान पूर्वक उसकी ग्रहानुसार प्राण प्रतिष्ठा अगर नही की जाती है,तो वह रत्न प्रभाव नही दे सकता है|
इसलिये रत्न पहिनने से पहले अर्थात अंगूठी में जडवाने से पहले इसकी प्राण प्रतिष्ठा करलेनी चाहिये|
अंगूठी में रत्न तभी अपना असर देगा जब उसकी विधि विधान से प्राण प्रतिष्ठा की जायेगी|
बेल पत्र की जड रविवार को हस्त या कृत्तिका नक्षत्र में लाल धागे से पुरुष दाहिने बाजू में और स्त्रियां बायीं बाजू में बांध लें,
इस के द्वारा जो रत्न और उपरत्न खरीदने में अस्मर्थ है,उनको भी अवश्य लाभ होगा|
सूर्य ग्रह के दुष्प्रभाव निवारक दान-
अपने बजन के बराबर के गेंहूं,लाल और पीले मिले हुए रंग के वस्त्र,लाल मिठाई,सोने के रबे,कपिला गाय,गुड और तांबा धातु,
श्रद्धा पूर्वक किसी गरीब ब्राहमण को बुलाकर विधि विधान से संकल्प पूर्वक दान करने से लाभ होता है|


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