शनिवार, 21 जून 2014

बृहस्पति ग्रह....

AstrokingRavi
पुराणों के अनुसार बृहस्पति समस्त देवी-देवताओं के गुरु हैं। गुरु बृहस्पति सत्य के प्रतीक हैं। उन्हें ज्ञान, सम्मान एवं विद्वता का प्रतीक भी माना जाता है। गुरु बुद्धि और वाक् शक्ति के स्वामी हैं। वे महर्षि अंगिरा के पुत्र हैं। उनकी माता का नाम सुनीमा है। इनकी बहन का नाम 'योग सिद्धा' है।ऋग्वेद के अनुसार बृहस्पति को अंगिरस ऋषि का पुत्र माना जाता है और शिव पुराण के अनुसार इन्हें सुरुप का पुत्र माना जाता है। इनके दो भ्राता हैं: उतथ्य एवं सम्वर्तन। इनकी तीन पत्नियां हैं। प्रथम पत्नी शुभा ने सात पुत्रियों भानुमति, राका, अर्चिश्मति, महामति, महिष्मति, सिनिवली एवं हविष्मति को जन्म दिया था। दूसरी पत्नी तारा से इनके सात पुत्र एवं एक पुत्री हैं तथा तृतीय पत्नी ममता से दो पुत्र हुए कच और भरद्वाज।बृहस्पति ने प्रभास तीर्थ के तट भगवान शिव की अखण्ड तपस्या कर देवगुरु की पदवी पायी। तभी भगवाण शिव ने प्रसन्न होकर इन्हें नवग्रह में एक स्थाण भी दिया। कच बृहस्पति का पुत्र था या भ्राता, इस विषय में मतभेद हैं। किन्तु महाभारत के अनुसार कच इनका भ्राता ही था। भारद्वाज गोत्र के सभी ब्राह्मण इनके वंशज माने जाते हैं। एक राशि मे गुरु बृहस्पति 13 मास तक निवास करता है l सूर्य , चन्द्र और मंगल मित्र है , बुध , शुक्र शत्रु है तथा शनि , राहु , केतु समग्रह है lगुरु बृहस्पति को शुभ ग्रह माना गया है l 
गुरु बृहस्पति बुद्धि तथा उत्तम वाकशक्ति के स्वामी है lगुरु बृहस्पति विशाखा, पुनर्वसु तथा पूर्वभाद्रपद नक्षत्र के स्वामी है l गुरु बृहस्पति को प्रसन्न करना है , तो ब्रह्माजी की पूजा करनी चाहिए l

बृहस्पति ग्रह के शुभ प्रभाव-

बृहस्पति, धनु और मीन राशि का स्वामी है यह कर्क राशि में अपना शुभ प्रभाव और मकर राशि में अपना अशुभ प्रभाव देते है ,गुरु एक नैसर्गिक शुभ ग्रह है अगर गुरु केंद्र या त्रिकोण में हो तो कुंडली को शुभ भी बना देते है .नवग्रहों में बृहस्पति को गुरु की उपाधि दी गई है। मानव जीवन पर बृहस्पति का महत्वपूर्ण प्रभाव है
बृहस्पति ग्रह के शुभ होने पर जातक अध्यापक, वकील, जज, पंडित, प्रकांड विद्वान् या ज्योतिषाचार्य हो सकते हैं I सोने का काम करने वाले सुनार, किताबों की दुकान, आयुर्वेदिक औषधालय, पुस्तकालय, प्रिंटिंग मशीन आदि पर गुरु का अधिकार होता है I शैक्षणिक योग्‍यता, धार्मिक चिंतन, आध्‍यात्मिक ऊर्जा, नेतृत्‍व शक्ति, राजनैतिक योग्‍यता, संतति, वंशवृद्धि, विरासत, परंपरा, आचार व्‍यवहार, सभ्‍यता, पद-प्रतिष्‍ठा, पैरोहित्‍य, ज्‍योतिष तंत्र-मंत्र एवं तप तस्‍या में सिद्धि का पता चलता है, धर्म स्थान में कार्यरत प्रमुख व्यक्ति इसी से संचालित होते हैं I सभी तीर्थस्थल इसी ग्रह के अंतर्गत आते हैं I पूर्ण रूप से ब्राह्मण धर्म का पालन करने वाले पंडित, न्यायपालिका के अंतर्गत आने वाले सर्वोच्च पद यानी न्यायाधीश, सरकारी वकील, साधू संतों में प्रमुख, कागज़ का व्यापार करने वाले व्यापारी गुरु द्वारा ही संचालित होते हैं , गुरु से प्रभावित व्यक्ति हृष्ट पुष्ट या थोड़े मोटे हो सकते हैं I इनका शरीर विशाल होता है I ये झूठ आसानी से नहीं बोल सकते अपितु बात को घुमा फिर कर बोलते हैं I इनका क्रोध पर पूर्ण नियंत्रण होता है I यह लोग तामसिक प्रवृत्ति के नहीं होते I इनका चरित्र तथा आचरण पवित्र तथा सहज होया है I ये झूठी प्रशंसा, दिखावे से दूर रहने वाले तथा धार्मिक कार्यों में रूचि रखने वाले होते हैं I
व्यक्ति कभी झूठ नहीं बोलता। उनकी सच्चाई के लिए वह प्रसिद्ध होता है। आँखों में चमक और चेहरे पर तेज होता है। अपने ज्ञान के बल पर दुनिया को झुकाने की ताकत रखने वाले ऐसे व्यक्ति के प्रशंसक और हितैषी बहुत होते हैं। यदि बृहस्पति उसकी उच्च राशि के अलावा 2, 5, 9, 12 में हो तो शुभ।

बृहस्पति ग्रह के अशुभ प्रभाव-

सिर पर चोटी के स्थान से बाल उड़ जाते हैं। गले में व्यक्ति माला पहनने की आदत डाल लेता है। सोना खो जाए या चोरी हो जाए। बिना कारण शिक्षा रुक जाए। व्यक्ति के संबंध में व्यर्थ की अफवाहें उड़ाई जाती हैं। आँखों में तकलीफ होना, मकान और मशीनों की खराबी, अनावश्यक दुश्मन पैदा होना, धोखा होना, साँप के सपने। साँस या फेफड़े की बीमारी, गले में दर्द। 2, 5, 9, 12वें भाव में बृहस्पति के शत्रु ग्रह हों या शत्रु ग्रह उसके साथ हों तो बृहस्पति मंदा होता है।

शांति के उपाय -

चीनी, केला, पीला वस्त्र, केशर, नमक, मिठाईयां, हल्दी, पीला फूल, भोजन और बृहस्पति से सम्बन्धित रत्न का दान करना भी श्रेष्ठ होता है. दान करते समय आपको ध्यान रखना चाहिए कि दिन बृहस्पतिवार हो और सुबह का समय हो. दान किसी ब्राह्मण, गुरू अथवा पुरोहित को देना विशेष फलदायक होता है.बृहस्पतिवार के दिन व्रत रखना चाहिए. कमज़ोर बृहस्पति वाले व्यक्तियों को केला और पीले रंग की मिठाईयां गरीबों, पंक्षियों विशेषकर कौओं को देना चाहिए. ब्राह्मणों एवं गरीबों को दही चावल खिलाना चाहिए. रविवार और बृहस्पतिवार को छोड़कर अन्य सभी दिन पीपल के जड़ को जल से सिंचना चाहिए. गुरू, पुरोहित और शिक्षकों में बृहस्पति का निवास होता है अत: इनकी सेवा से भी बृहस्पति के दुष्प्रभाव में कमी आती है।
बृहस्पति के मंत्र का जप करते रहें। मंत्र : ऊँ बृं बृहस्पतये नमः या ” ॐ ग्राम ग्रीम ग्रौम सः गुरवे नमः ” – जप संख्या ७६०००
पीपल के वृक्ष के पास कभी गंदगी न फैलाएं व जब भी कभी किसी मंदिर, धर्म स्थान के सामने से गुजरें तो सिर झुकाकर, हाथ जोड़कर जाएं।

हमेशा शुभ के लिए-

व्यक्ति को अपने माता-पिता, गुरुजन एवं अन्य पूजनीय व्यक्तियों के प्रति आदर भाव रखना चाहिए तथा महत्त्वपूर्ण समयों पर इनका चरण स्पर्श कर आशिर्वाद लेना चाहिए।
सफेद चन्दन की लकड़ी को पत्थर पर घिसकर उसमें केसर मिलाकर लेप को माथे पर लगाना चाहिए या टीका लगाना चाहिए।
व्यक्ति को मन्दिर में या किसी धर्म स्थल पर निःशुल्क सेवा करनी चाहिए।
किसी भी मन्दिर या इबादत घर के सम्मुख से निकलने पर अपना सिर श्रद्धा से झुकाना चाहिए.
व्यक्ति को परस्त्री / परपुरुष से संबंध नहीं रखने चाहिए।
गुरुवार के दिन मन्दिर में केले के पेड़ के सम्मुख गौघृत का दीपक जलाना चाहिए।
गुरुवार के दिन आटे के लोयी में चने की दाल, गुड़ एवं पीसी हल्दी डालकर गाय को खिलानी चाहिए।

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