सोमवार, 20 जनवरी 2020

प्रकृति और प्रारब्ध


Astrokingravi
Astrokingravi

प्रकृति और प्रारब्ध
.
एक मछुआरा था । उस दिन सुबह से शाम तक नदी में जाल डालकर मछलियाँ पकड़ने की कोशिश करता रहा, लेकिन एक भी मछली जाल में न फँसी ।
.
जैसे -जैसे सूरज डूबने लगा, उसकी निराशा गहरी होती गयी ।
.
भगवान का नाम लेकर उसने एक बार और जाल डाला पर इस बार भी वह असफल रहा, पर एक वजनी पोटली उसके जाल में अटकी ।
.
मछुआरे ने पोटली को निकला और टटोला तो झुंझला गया और बोला -' हाय ये तो पत्थर है ! ' फिर मन मारकर वह नाव में चढा ।
.
बहुत निराशा के साथ कुछ सोचते हुए वह अपने नाव को आगे बढ़ता जा रहा था और मन में आगे के योजनाओं के बारे में सोचता चला जा रहा था ।
.
सोच रहा था, कल दुसरे किनारे पर जाल डालूँगा । सबसे छिपकर ...उधर कोई नही जाता ....वहां बहुत सारी मछलियाँ पकड़ी जा सकती है ... ।
.
मन चंचल था तो फिर हाथ कैसे स्थिर रहता ? वह एक हाथ से उस पोटली के पत्थर को एक -एक करके नदी में फेंकता जा रहा था ।
.
पोटली खाली हो गयी। जब एक पत्थर बचा था तो अनायास ही उसकी नजर उस पर गयी तो वह स्तब्ध रह गया ।
.
उसे अपने आँखों पर यकीन नही हो रहा था, यह क्या ! ये तो ‘ नीलम ’ था ।
.
मछुआरे के पास अब पछताने के अलावा कुछ नही बचा था । नदी के बीचो बीच अपनी नाव में बैठा वह सिर्फ अब अपने को कोस रहा था ।
.
प्रकृति और प्रारब्ध ऐसे ही न जाने कितने नीलम हमारी झोली में डालता रहता है जिन्हें पत्थर समझ हम ठुकरा देते हैं।

~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
जय जय श्री राधे
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

Thank you for commenting. We will contact you soon.

Astrology

हनुमान जन्मोत्सव

  हनुमान जन्मोत्सव की ढेर सारी शुभकामनाएं.. ईश्वर सभी को निरोगी रखें.. नासे रोग हरे सब पीरा, जो सुमिरे हनुमंत बलबीरा.